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10 Apr 2021 · 1 min read

नाज़ुक सी मेरी कली

नाज़ुक
******
नाज़ुक सी मेरी कली, कहाँ छुपाऊँ तोय।
थर-थर काँपूं देखकर, जो कछु जग में होय।। 01।।
बाज
****
पग-पग पर बैठे यहाँ, बाघ भेड़िये आज।
देखन में बगुला भगत, भीतर से हैं बाज।।02।।

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 535 Views
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