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10 Apr 2021 · 1 min read

नुमाइश

नुमाइश
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करै नुमाइश रूप की, करके देहरी पार।
शर्म ह्या सब बेचकर, उड़े आज की नार।।

© डॉ० प्रतिभा ‘माही’

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 319 Views
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