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21 Mar 2021 · 1 min read

116. मानवता दिल में नहीं रहेगा

बेटा तुमसे जिद्द किया जो,
उसको खाना खिलाया ।
हर अरमान पूरा किया तू,
उसका जिद्द क्यों भूल ना पाया ।।

एक भिखारी तेरे द्वार पे,
खाने को जो आया ।
घर से निकलकर तुमने उसको,
क्यूँ लात मार भगाया ।।

ऐसा क्या कारण है जो ,
अपना है सबसे प्यारा ।
बेटे जैसा और सब बच्चा,
क्यों लगता नहीं दुलारा ।।

अपनों का प्यार,केवल अपनों तक,
जबतक सीमित रहेगा ।
मानवता, इंसानियत दोनों,
दिल में नहीं रहेगा ।।

दुसरों के मरने का,गम नहीं तुझको,
खुद हो जश्न मनाते ।
फिर अपनी विपत्ति आने पर,
क्यों इतना घबराते ।।

जख्म दिया जो औरों को,
बिल्कुल न चिन्ता होता ।
खुद पे बीता जब तेरे साथ तो,
छाती पीट क्यों रोता ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 18/03/2021
समय – 10 : 20 ( सुबह )
संपर्क – 9065388391

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