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14 Mar 2021 · 1 min read

पतझर

पतझर

पतझर में टूटी बिखरी
मुरझायी गिरी धरा तल
देखे थे मैंने कई बसंत
अब जर्जर जीवन के पल
प्यासी पलकें घिर आयी
ढुलक गए हीरक कण
संचित करती उर अंचल
अवशेष यही जीवन धन

रेखांकन।रेखा

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