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13 Mar 2021 · 1 min read

पहली मुलाकात

**** पहली मुलाकात****
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आधी अधूरी व्याकुल भरी,
प्रेम की पहली मुलाकात।

उलझी हुई काली जुल्फें,
रिमझिम बरसी थी बरसात।

बहकी हुई सी साँसें थी,
प्यार की स्वर्णिम सौगात।

रजत से चमकते रुखसार,
तारों भरी चाँदनी रात।

स्वर्ग तुल्य सुंदर परिदृश्य,
अवनि पर उतरी कायनात।

झुकी आँखें ,लाल थे गाल,
सुर्ख होठों ने न कही बात।

चाँद सा सुन्दर मुखमंडल,
काँप रहा था ललीचा गात।

अजब खुश्बू तन से आए,
मन में मचाती थी उत्पात।

मनसीरत को याद हैं पल,
भुलाए न भूलती मुलाकात।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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