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3 Mar 2021 · 1 min read

गर तूने मुझे और वक़्त दिया होता

गर तूने मुझे , और वक़्त दिया होता
मैं तेरे गुलशन को , महकाता
कोशिश करता इस जहां को, तेरा नूर बनाने की
तेरी रह चलता , तेरा अजीज़ हो पाता

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