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2 Mar 2021 · 1 min read

प्रियवर

अंतर मन में है बसा,प्रियवर तेरा चित्र।
प्रेम वासना से रहित ,पावन परम पवित्र।।

तेरी बाहों में सुबह,हो बाँहों में रात।
दो नयना करती रहे,अंतर मन की बात।।

सीने से लिपटी रहूँ,हो हाथों में हाथ।
धड़कन रुक जाये वही,जब हो प्रियवर साथ।।

गले लगाऊं जब तुझे,हो निर्मल बरसात।
मिले रूह जब रूह से,महक उठे जज्बात।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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