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14 Feb 2021 · 1 min read

दीये का अभिमान

दीये का गरूर भी देखो।

जिस अंधेरे से पहचान है, उसकी
जिस तमस में बसती जान है ,उसकी
कहता है , मेरी दुश्मनी तो अंधेरों से हैं।
तो छोड़ अंधेरे को ••••2
सूरज की रोशनी में चमक कर तो दिखलाए।
अपनी चमचमाती लौ सूरज की रोशनी में भी तो फैलाए।
क्यों निभाता है दुश्मनी अंधेरे से•••
कभी प्रेम भी जतलाए।
क्यों खफ़ा है, तमस से !! कभी वफ़ादारी भी तो दिखलाए ।
अन्धेरा दीपक के पीछे बदनाम है।
पत्ता नहीं !! उसे हवाओं से क्या काम है।

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