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7 Feb 2021 · 1 min read

उसके खत में...

कुछ खता थी……..उसके खत में!
कुछ वफ़ा थी……..उसके खत में!
कुछ रज़ा थी……..उसके खत में!
कुछ सज़ा थी…….उसके खत में!

बहुत कुछ अर्ज़ था…उसके खत में!
ला-ईलाज़ मर्ज़ था….उसके खत में!
जो बयां ही न हुआ ज़ुबा से हमारी!
वो सब कुछ दर्ज़ था उसके खत में!

बे-शुमार शरारते, बे-असर हिदायतें!
बे-मतलब की बातें थी उसके खत में!
जो मुक्कमल ही न हो पाई असल में!
वो मुलाकात भी तो थी उसके खत में!

बे-हिसाब बचपना था उसके खत में!
एक अपना सा भी था उसके खत में!
भीग गया था जो पिछली बारीश में!
वही धुंधला सपना था उसके खत में!

Anoop Sonsi
MORADABAD
(Uttar Pradesh)

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