दरख्त
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
मां लक्ष्मी कभी भी जुआरिओ के साथ नही बल्कि जोहरीओ के साथ रहत
*शिवोहम्* "" ( *ॐ नमः शिवायः* )
गर्म दोपहर की ठंढी शाम हो तुम
*कौन जाने जिंदगी यह ,जीत है या हार है (हिंदी गजल)*
ईश्वर में आसक्ति मोक्ष है
श्रंगार लिखा ना जाता है– शहीदों के प्रति संवेदना।
वक्त रेत की तरह हाथों फिसलती जा रहा है।
हुआ सबेरा प्राची है मुस्काई
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
शादी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम