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2 Feb 2021 · 2 min read

तुम्हारे अहसास में लिपटे ख़त

तुम्हारे अहसास में लिपटे ख़त
ख़ुशबू में लिपटा ख़त जो तुम्हारा आया,
वक़्त को वहीं रुका हुआ पाया।
खोलते ही ख़त तुम्हारा दुनिया बदल गई,
वीराने में मुहब्बत की महफ़िल जम गई।
लगे तुम्हारा हर अल्फ़ाज़ हमें निहारता,
दिल उस वक़्त सिर्फ़ तुम्हें ही पुकारता ।
तुम्हारी महक है हर ख़त में,
दुनिया भूल जाते हैं इन्हें पढ़ने की लत में ।
ख़त तुम्हारे प्राणों से प्यारे हैं,
पढ़कर जिन्हें हम जी उठते हैं ।
हर शब्द पर हाथ फिराते हैं,
जो तुम्हारे होने का अहसास दिलाते हैं ।
हर ख़त तुम्हारा हमारी उम्र बढ़ा देता है,
प्यार के नये पंख लगा देता है ।
तन्हाई में भी बजने लगी शहनाई,
जब ख़त में तुम्हारी तस्वीर दी दिखाई ।
ख़त में भरा तुम्हारा अहसास,
बढ़ा देता है मिलने की प्यास।
पढ़ ख़त तुम्हारा झूम लेते हैं,
समझ हाथ तुम्हारा चूम लेते हैं ।
कुछ कही और कुछ अनकही बातें,
जिन्हें पढ़ गुज़रते हैं हमारे दिन-रातें ।
ये ख़त ही हैं जो तन्हाई में मन बहलाते हैं,
हर दिन पढ़कर भी नये से लगते हैं ।
तन्हाइयों के अंधेरों में जुगनू से चमकते हैं,
जिन्हें देख हम ख़ूब मुस्कुराते हैं ।
हर ख़त है तुम्हारी ख़ुशबू में लिपटा,
जिसमें मेरा जीवन सिमटा।
दिन जाता है ढल, मन जाता है बहल,
ये सोच कर, शायद ख़त तुम्हारा आ जाएगा कल।
जैसे बाग को फूल का,
नदी को पानी का,
चाँद को चाँदनी का,
हमें रहता है इंतज़ार तुम्हारे ख़त का।
ख़त हैं तुम्हारे टिमटिमाते तारे,
बाँचे हम रात भर सो जायें जब सारे ।
हर ख़त तुम्हारा रखा है सम्भाल कर ,
क्योंकि भेजते थे उसमें तुम दिल अपना डालकर ।
पढ़ ख़त तुम्हारा निगाहें झुका लेते हैं,
प्यार की गहराइयों में ख़ुदको डुबा लेते हैं ।
इंदु नांदल
जकारता
इंडोनेशिया

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