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18 Jan 2021 · 1 min read

पता पहले से था

********* पता होने से पहले था ************
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किया संभल के उनसे प्यार पग पग पर नहीं होगा
मिलेगा राह में साथी आपसा होने से पहले था

जुदाई में नहीं मिलती कभी राहत न पल भर की
कयामत सी निशा होगी पता होने से पहले था

अगर मालूम होता यार होगा बेवफा सारा
नियत काली भरा साथी गिला होने से पहले था

कभी होता न राही अंजान रास्तों से मगर फिर भी
कदम पथ पर पड़ा काफिला होने से पहले था

नजर आती नहीं मंजिल निकट होकर न जानेमन
बिखर जाते यहाँ मोती सिला होने से पहले था

कहानी घर से मनसीरत शुरू होती सुना होगा
मिला होगा न कोई रहनुमा होने से पहले था
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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