Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 Jan 2021 · 1 min read

दोहरा चरित्र

छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
वह सुबह से राष्ट्र हित के, गीत सरगम गा रहे हैं ।
जातियाँ उन्माद भारत ,धर्म पथ आतंक अब ।
राजनीतिक गोटियाँ हैं ,चुप सहज सरका रहे हैं।।

-सत्येन्द्र पटेल’प्रखर’

Loading...