Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
30 Dec 2020 · 1 min read

इंसान से बड़ा पत्थर नहीं

इंसान से बड़ा पत्थर नहीं
झूठ नहीं सच में ऐसा होता है।

पहाड़ भी क्यों न कितने टूटे
इंसान न टूट पाएगा।

कितनी भी गिर जाएँ बिजलियाँ
पर वो न कभी मिट पाएगा।

कितने भी आ जाए आकाल
पर वो न कभी सुख पाएगा।

कुछ भी क्यों न हो जाए
पर वो न कभी टूट पाएगा।

सूरज जब ताप बढ़ाएगा
फिर भी न वह जल पाएगा।

जब भी पवन लहराएगा
फिर भी न वो उड़ पाएगा।

धरती भी क्यों न हिल जाए
मानव न कभी हिल पाएगा।

कितनी भी विपदा आ जाए
पर मानव न गिर पाएगा।

कितने दुःख क्यों न आ जाए
किंतु वो सुख ही भोगेगा।

मानव ही ऐसा प्राणी है
हर हाल में जिसको जीना है।

चाहे जो कुछ भी हो जाए
मानव ही तो रह जाएगा।

Loading...