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21 Dec 2020 · 2 min read

कोरोना

दोहों में कोरोना
——————–
अपनी करनी से हुआ , दो कौड़ी का चीन ।
खुद की लाशों पर मुआ , बजा रहा अब बीन ।।

कोरोना ने कर दिया , सबकुछ मटियामेट ।
राजा हो या रंक हो , सबको दिया रपेट ।।

औषधियों का देश है , अपना भारत वर्ष ।
यह दुःसाध्य न वायरस , जिसे कहें दुर्धर्ष ।।

कोरोना डायन मुई , देख-देख हलकान ।
लोग कहाँ गायब हुए , सड़कें क्यों सुनसान ।।

कोरोना के खौफ़ से , सड़क हुई बीरान ।
घर में दुबका है पड़ा , बेबस अब इन्सान ।।

कुछ दिन की तो बात है , घर में रहिए बन्द ।
छंदःशाला खोलिए , और बाँचिए छंद ।।

कैसे-कैसे लोग हैं , अजब-गजब संसार ।
जो कुछ सुनते ही नहीं , उनका क्या उपचार ।।

चन्द्र गया , मंगल गया , जीते सब नक्षत्र ।
पढ़ने में असमर्थ है , कोरोना का पत्र ।।

कोरोना लरछुत बहुत , अति संक्रामक भूत ।
चीन देश से भागकर , आया है अवधूत ।।

मन से विनती कीजिए , माता को कर जोड़ ।
कोरोना की कमर को , जल्दी से दें तोड़ ।।

चिन्ता तनिक न कीजिए , कृपा करेंगे रुद्र ।
डमरू की आवाज से , भागेगा यह शूद्र ।।

घर के अंदर ही रहें , संयम बरतें रोज ।
वैज्ञानिक जबतक नहीं , औषधि लेते खोज ।।

विकट समय की है घड़ी , विपदा है घनघोर ।
ऐसे में कैसे लगे , सुखद-मनोरम भोर ।।

कोरोना से ग्रस्त हों , तभी रहें दूरस्थ ।
साथ प्यार से बैठिए , अगर आप हों स्वस्थ ।।

सुनीं सब गालियाँ पड़ीं , सूने हैं चौपाल ।
मुखिया जी घर में पड़े , बजा रहे हैं झाल ।।

कोरोना से हारकर , नहीं बैठना मित्र ।
संयम से घर में रहें , स्थिति है बड़ी विचित्र ।।

कोरोना को मारना , अगर हमें है यार ।
घर में रहना बन्द ही , एकमात्र उपचार ।।

कोरोना बाए खड़ी , मुंह ले मेरे द्वार ।
घर में रहना बन्द ही , मेरा भीषण वार ।।

कोरोना की मार से , सारा जग बेचैन ।
डर के मारे ट्रम्प के , कातर हैं अब नैन ।।

– विजय गुंजन

Language: Hindi
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