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21 Dec 2020 · 1 min read

पिया बहरूपिया

****** पिया बहरूपिया *******
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पिया बहरूपिया सा रंग बदलता है
हर रोज जीने के वो ढंग बदलता है

भौंरा बन के डाल डाल भटकता है
रंग बिरंगी तितलियों पर मचलता है

दिल पर है गाज गिरी वो क्या जाने
बिन बात पर यूँ ही वो बिगड़ता है

बेवफ़ाई की सरजमीं बहुत दर्द भरी
धोखा खा कर भी दिल धड़कता है

यादों की बारात के साथ साथ चला
तन्हाई में तन्हां तन्हां मन तड़फता है

मनसीरत ने मेघों की गर्जना है सुनी
आँखों में नीर का सैलाब बरसता है
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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