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18 Dec 2020 · 1 min read

-- लाईब्रेरी --

सुना है कल
किताबों ने
कर ली आत्महत्या
जाते जाते लिख गयी
अपने दिल को व्यथा
क्या करना है यहाँ
अब हम को सज धज कर
जब कुछ तो बस में नही रहा

जब से आया है
मोबाईल इस दुनिया में
हम को भला कौन पूछता है
जब नही मिलता कुछ वहां
तब आकर यहाँ झांकता है

बहुत सोचने के बाद
आज दिल से निकला
लिख डालूँ अपना सुसाईड नोट
सब कुछ रखा मोबाईल में
हम में तो बस रह गया सिर्फ खोट

वकत वक्त की बात है
जब सब आकर यहाँ पढ़ते थे
आज आते तो हैं पढने
पर संग मोबाईल को ले आते हैं

इतना बता जाती हूँ जाते जाते
मेरे अंदर जो लिखा वो मिट न सकेगा
मेरा काम था सब के काम आना
यह मोबाईल मेरी जगह ले न सकेगा

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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