Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Dec 2020 · 1 min read

मंजिल तक

??मंजिल तक??

समझकर झेला जिसने दुःख का वरदान
गमों का मेला हरदम जिसके चारों ओर
करती है मंजिल हररोज इंतजार
जो पथ पर बिन सहारे अकेला चलता◆◆१◆◆

जो जद में होता है तूफानों का
कद ऊंचा सबसे उसका होता है
मिलती जिसको विपदायें पग-पग पर
पद में वही बड़ा किरदार होता है◆◆२◆◆

लगा देता है मुसीबतों को जो गला
पी जाता है गम के हर आँसुओं को
मंजिल पर जो कठिनाईयाँ आती है
वो हर किरदार को हरवक्त निभाता है◆◆३◆◆

खुद जो राह बनाता है अपने-आप
मेहनत से ही जाता है मंजिल तक
बैशाखि के सहारे जो चलकर जाता
वो मंजिल से पहले ही थक जाता है◆◆४◆◆

【★★रचनाकार:- दिनेश सिंह:नेगी★★】
(१८/१२/२०२०- शुक्रवार)

●यह रचना रचनाकार के पास सर्वाधिक सुरक्षित है●

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 498 Views

You may also like these posts

रूठी नदी
रूठी नदी
Usha Gupta
रमणीय प्रेयसी
रमणीय प्रेयसी
Pratibha Pandey
प्रीत लगाकर कर दी एक छोटी सी नादानी...
प्रीत लगाकर कर दी एक छोटी सी नादानी...
Jyoti Khari
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
महफिलों का दौर चलने दो हर पल
VINOD CHAUHAN
तरु वे छायादार
तरु वे छायादार
RAMESH SHARMA
🌹💖🌹
🌹💖🌹
Neelofar Khan
मुक्तक
मुक्तक
Sonam Puneet Dubey
सच्चाई की डगर*
सच्चाई की डगर*
Rambali Mishra
दुनिया के हर क्षेत्र में व्यक्ति जब समभाव एवं सहनशीलता से सा
दुनिया के हर क्षेत्र में व्यक्ति जब समभाव एवं सहनशीलता से सा
Raju Gajbhiye
रिश्ते
रिश्ते
पूर्वार्थ
तेरी याद ......
तेरी याद ......
sushil yadav
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
आदमी कई दफ़ा झूठ बोलता है,
Ajit Kumar "Karn"
"अलग -थलग"
DrLakshman Jha Parimal
साँझे चूल्हों के नहीं ,
साँझे चूल्हों के नहीं ,
sushil sarna
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
हम अपनी आवारगी से डरते हैं
Surinder blackpen
एकतरफ़ा इश्क
एकतरफ़ा इश्क
Dipak Kumar "Girja"
इन्तजार
इन्तजार
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
बीन अधीन फणीश।
बीन अधीन फणीश।
Neelam Sharma
मां आई
मां आई
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
🥀* अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
2656.*पूर्णिका*
2656.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मनमीत
मनमीत
लक्ष्मी सिंह
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
क्या हुआ जो मेरे दोस्त अब थकने लगे है
Sandeep Pande
अपना ईमान तक गवाये बैठे है...!!
अपना ईमान तक गवाये बैठे है...!!
Ravi Betulwala
फुटपाथ की ठंड
फुटपाथ की ठंड
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
ज्ञान प्रकृति का हम पाएं
ज्ञान प्रकृति का हम पाएं
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
दोहे
दोहे
अनिल कुमार निश्छल
हर लम्हे में
हर लम्हे में
Sangeeta Beniwal
"देशभक्ति की अलख"
राकेश चौरसिया
Loading...