आज़ाद गज़ल
अतीत से निकल वर्तमान में आ
फ़िर ज़िंदगी के जंगे मैदान में आ।
कब तक रोएगा तू नाकामियों पर
जी चुका जमीं पे आसमान में आ ।
दूसरों पे तोहमत लगाने से पहले
जा झांक के अपने गिरेवान में आ।
वादा है चुकाऊँगा मोल जाँ दे कर
मुझसे इश्क़ करके,एहसान में आ ।
झूठ के पाँव नहीं होते,सच है मगर
मत किसी झांसे के बेइमान में आ ।
-अजय प्रसाद