Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2024 · 1 min read

*तू कौन*

एक अबोध बालक

क्षयति इति शरीरः जो पल पल क्षय हो रहा हो पल पल घट रहा हो उसी को शरीर की संज्ञा दी गई है वेद में। माता के गर्भ में भ्रूण के स्वरूप में आते ही उसका विघटन शुरू। और फिर अन्त तक सम्पूर्ण।
कमाल की बात तो ये देखिए इन्सान की मजबूरी जिसको लगातार पालना पोसना पोषण करना तरह तरह के आहार विहार औषधि एवम श्रृंगार से ।
लेकिन ये रुकने वाला नहीं ईश्वर ने इसकी संरचना इस के आदि से लेकर अंत तक इतना ही चार्ज किया गया है जैसे ही चार्ज खत्म खेल खत्म इसको दोबारा रिचार्ज करना नामुमकिन ।
और सबसे बड़े मजे की बात सुनिए उसी शरीर अर्थात जिसका पल पल क्षय हो रहा है, उसी को लेकर इंसान इतराता फिरता है। अनर्गल व्यव्हार करता है आचरण करता है।
ॐ नमो भगवते श्री वासुदेवाय।

1 Like · 67 Views
Books from DR ARUN KUMAR SHASTRI
View all

You may also like these posts

तेरे आने कें बाद से बदल गए है,
तेरे आने कें बाद से बदल गए है,
Vaishaligoel
"एक ख्वाब"
Lohit Tamta
प्रभु भक्ति में सदा डूबे रहिए
प्रभु भक्ति में सदा डूबे रहिए
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मुखौटा
मुखौटा
Yogmaya Sharma
याद हमारी बहुत आयेगी कल को
याद हमारी बहुत आयेगी कल को
gurudeenverma198
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
ढूॅ॑ढा बहुत हमने तो पर भगवान खो गए
VINOD CHAUHAN
रंग जिन्दगी का
रंग जिन्दगी का
Ashwini sharma
सुखी होने में,
सुखी होने में,
Sangeeta Beniwal
सुंदरता विचारों में सफर करती है,
सुंदरता विचारों में सफर करती है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है..........
हर एक रास्ते की तकल्लुफ कौन देता है..........
डॉ. दीपक बवेजा
मौज-मस्ती
मौज-मस्ती
Vandna Thakur
सबकी यादों में रहूं
सबकी यादों में रहूं
Seema gupta,Alwar
*मुस्कानों में सच्चाई है
*मुस्कानों में सच्चाई है
Rambali Mishra
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
वही नज़र आएं देखे कोई किसी भी तरह से
Nitin Kulkarni
मनोभाव
मनोभाव
goutam shaw
*यदि हम खास होते तो तेरे पास होते*
*यदि हम खास होते तो तेरे पास होते*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शिव शंकर तू नीलकंठ -भजन-रचनाकार:अरविंद भारद्वाज
शिव शंकर तू नीलकंठ -भजन-रचनाकार:अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
वो हर रोज़ आया करती है मंदिर में इबादत करने,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कही अनकही
कही अनकही
Deepesh Dwivedi
https://15.235.203.15/ – Link vào nhà cái 188BET trang cá c
https://15.235.203.15/ – Link vào nhà cái 188BET trang cá c
88BET20315
किस्त
किस्त
Diwakar Mahto
3809.💐 *पूर्णिका* 💐
3809.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
मत करना अभिमान
मत करना अभिमान
Sudhir srivastava
विचार और विचारधारा
विचार और विचारधारा
Shivkumar Bilagrami
जिंदगी
जिंदगी
sushil sarna
पुत्र की भूमिका निभाते वक्त माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतर
पुत्र की भूमिका निभाते वक्त माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतर
पूर्वार्थ
कैसा भी मौसम रहे,
कैसा भी मौसम रहे,
*प्रणय*
प्रेम इवाद्त
प्रेम इवाद्त
sheema anmol
"दिमागी गुलामी"
Dr. Kishan tandon kranti
*दाता माता ज्ञान की, तुमको कोटि प्रणाम ( कुंडलिया )*
*दाता माता ज्ञान की, तुमको कोटि प्रणाम ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
Loading...