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10 Nov 2020 · 2 min read

आग्रह-पुर्वाग्रह-और दुराग्रह!!

सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे भवन्तु निरामय,
सब सुखी रहें सभी निरोगी जीवन जीएं,
यह आग्रह लेकर चलने वाले,
हैं यह सब कितने निराले,
अपने संग संग चाहते हैं सबको,,
सुख और शांति,
उन्नति और संम्बृधि,
के साथ जीवन जीते रहें,
पर घटते जा रहे हैं,
ऐसे लोग ऐसे दिलवाले!

कुछ हैं ऐसे भी बंधु हमारे,
जो सोचते हैं,
अपने तो होते रहें,
वारे न्यारे,
औरों से हमें क्या लेना है,
क्या हमने किसीका कुछ देना है
औरों के लिए हम क्यों बिचारें,
क्यों हम अपने को संकट में डालें,
हम तो अपना काम निकालें,
होते हैं कुछ ऐसे मतलब वाले,
इन्हें कह सकते हैं पूर्वाग्रही आचरण वाले,

ये जीव बड़े संग दिल होते है,
ये अपने मतलब के लिए कुछ भी कर लेते हैं,
इनका काम चलना चाहिए,
नहीं कहीं पर अटकना चाहिए,
अगर कहीं पर काम नहीं बनता है,
तो फिर इनका स्वभाव बिगड़ता है,
ये तब किसी की परवाह नहीं करते हैं,
ना ही यह उचित-अनुचित का भेद करते हैं,
हर हाल में अपना हित साधते हैं,
ये किसी पर भी वार कर सकते हैं,
इनका कोई दीन ईमान नहीं होता,
इन पर कोई अहसान या नियंत्रण नहीं होता,
ये सब कुछ पा लेना चाहते हैं,
किसी और को यह सुखी देखना नहीं चाहते हैं,
यह अपने लिए ही जागते-सोते हैं,
ऐसे इंसान बडे ही मतलबी होते हैं!

आज के परिवेश में,
इनका बर्चस्व बढ़ रहा है,
इनके आतंक का खतरा बढ़ रहा है,
इनसे निजात पाना मुश्किल हो गया है,
यह जमाना बहुत मतलबी हो गया है,
ऐसे में अब कोई किसी की सहायता कैसे करें,
यदि करते हैं तो फिर जान जोखिम में रहे,
फिर नाहक क्यों जोखिम मोल ले,
एक आंख से देखकर भी अनदेखा करे,
चुपचाप अपनी मंजिल को आगे बढ़े,
वहां पर जो होता है होता रहे !

यदि जिम्मेदारों ने अपना फर्ज निभाया होता,
तो फिर ऐसा माहौल सामने नहीं आया होता,
दीन-दुखियों को थोड़ा सा भी संबल दिखाया होता,
तो वह भी अपनी थोड़ी सी हिम्मत दिखाया होता,
और फिर एक आदर्श वातावरण सामने आया होता!

हम आज बहुत तेजी से भीरु हुए जा रहे हैं,
अपने आग्रहों को भूलाए जा रहे हैं,
अपने-अपने पूर्वाग्रहों पर नजर टिकाए हुए हैं,
किसी और के दुःख-सुख को बिसराए हुए हैं,
और फिर ऐसे में दुराग्रही के समक्ष नतमस्तक हो गये हैं,
तो फिर दुराग्रही और भी ज्यादा दुराग्रही हो रहे हैं,
और हम हैं कि अपनी खैर समझ रहे हैं,
नहीं जानते हैं कि यह खैर कब तक रहेगी,
ना जाने कब उनकी नजर हम पर आ टिकेगी,
तब हमारा क्या होगा यह तो राम जी ही जाने,
नहीं आएगा तब कोई हमें भी बचाने,
बकरी की अम्मा कब तक खैर मनाएगी,
देख लेना एक दिन तो अपनी भी बारी आएगी!!

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