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8 Nov 2020 · 1 min read

गाँव की खुली चौपाल

**गाँव की खुली चौपाल*
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दंगा, पंगा या बिगड़े हाल
गाँव में खुलती है चौपाल

रामू,श्यामू , चाचा , काका
एक बोल पर ठोंकता ताल

गाय गर चारा चर जाती
निर्णय होता बीच चौपाल

बकरी गर चोरी हो जाती
चोर ढूंढते हैं मध्य चौपाल

आपस में होती है तकरार
समझौता करवाती चौपाल

छोटे मोटे से झगड़े लफड़े
पल में निपटाती चौपाल

ग्रामीणों न्यायालय बनती
खुल्लमखुल्ली है चौपाल

खुशियों के आते हैं लम्हें
खुशियाँ बाँटती है चौपाल

ब्याह सगाई रूठना मनाई
सब की सब मध्य चौपाल

थके हारे राहत हैं भर लेते
नीम खड़ी है बीच चौपाल

मनसीरत मॉल रूपी शैली
बाजार रूप लेती चौपाल
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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