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28 Oct 2020 · 1 min read

सवैया सूत्र

सवैया सूत्र 1
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सात भगण दो गुरू मिलें मत्तगयन्द हिलोर।
एक गुरू मदिरा बने,गुरू लघु बने चकोर।

गुरू लघु बने चकोर,अंत एक रगण लगावें,
छंद बने अरसात मान कवियों में पावें।।

कहें गुरू समझाय आठ गिनती गिन लीजे।
पहिनाकर किरीट कविता की शोभा कीजे।।

सूत्र 2
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आठ सगण दुर्मिल बनें, चँद्रकला कहलायँ।
एक गुरू मिल सुन्दरी,पाकर मन हरषायँ।

पाकर मन हरषायँ,दो लघु कुँदलता।
एक गुरू अरविंद बताये सही पता।

सुकवि सवैया रचो देश के वीर कहाओ।
रखो लघु गुरू साथ,महामंजीर बनाओ।

सवैया सूत्र 3
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सात यगण लघु गुरू सिर नाये।
वागेश्वरी के आशिष पाये।।

शब्द शब्द हो जाये सुहावन।
आठ रगण गंगोदक पावन ।।

सात तगण एक गुरू संग लाना।
मंदारमाला प्रभु चढ़ाना।।

आठ यगण मिल हँसते गाते।
महाभुजंग प्रयात मनाते ।।

सात तगण दो गुरू रख स्वामी
सर्वगामी सौ बार नमामी।।

गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश
27/10/2020

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