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12 Oct 2020 · 1 min read

ख़ुदा के करम से कमी कुछ नहीं है

ख़ुदा के करम से कमी कुछ नहीं है
मगर प्यार बिन ज़िन्दगी कुछ नहीं है

मिरे इश्क़ की प्यास के सामने तो
कोई प्यास या तिश्नगी कुछ नहीं है

फ़क़त एक जुगनू अंधेरे का दुश्मन
दिया एक हो तीरगी कुछ नहीं है

न किरदार ऊँचा न अख़लाक़ अच्छा
जो नीयत ग़लत आदमी कुछ नहीं है

नज़ाकत नफ़ासत हो चाहत भरा दिल
मगर यार बिन आशिक़ी कुछ नहीं है

अमीरों को चाहा सियासत ने अक्सर
ग़रीबों की ख़ातिर कभी कुछ नहीं है

हुआ नोट ग़ायब सफ़ाई या जादू
अभी हाथ में था अभी कुछ नहीं है

तो ‘आनन्द’ बोलो सुनी कुछ नहीं थी
अगर बात तुमसे कही कुछ नहीं है

– डॉ आनन्द किशोर

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