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11 Oct 2020 · 1 min read

जान पर आज है ठनी देखो

जान पर आज है ठनी देखो
बात बिगड़ी नहीं बनी देखो

दौड़ते जा रहे हैं लोग कहाँ
क्यूँ नगर में है सनसनी देखो

उनका आना हुआ बहुत मुश्क़िल
तेज़ बारिश है अब घनी देखो

प्यार जिनका मिसाल था अब तक
उनमें है अब तनातनी देखो

कल तलक दोस्त एक दूजे के
आज दोनों में दुश्मनी देखो

अपनी रोटी ग़रीब ने बांटी
उसके जैसा नहीं धनी देखो

बाद में दोस्त भी बना लेंगे
उसके है पास क्या मनी देखो

बेसबब ही मज़ाक सब करते
आजकल लोग हैं फनी देखो

रब ने दौलत जो प्यार की दे दी
फ़िर से ‘आनन्द’ है गनी देखो

शब्दार्थ:- गनी = धनी/अमीर )

– डॉ आनन्द किशोर

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