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10 Oct 2020 · 1 min read

उसकी मोहताज़ रवानी मेरी

उसकी मोहताज़ रवानी मेरी
उसके दम से है कहानी मेरी

वो मेरा दोस्त मेरा रहबर है
पास जिस के है निशानी मेरी

दिल में पलती वो रही बचपन से
हो गई चाह सयानी मेरी

सामने चोट लगी जब उसको
आ गया आँख में पानी मेरी

उम्र के साथ बदलते चेहरे
खो गई और जवानी मेरी

रंजोग़म जो भी मिले राजा हैं
दिल की पीड़ा जो है रानी मेरी

उसका मक़सद ही ग़लत लगता है
बात लाया है पुरानी मेरी

फूटकर आज बहुत रोया वो
सुन के इस बार कहानी मेरी

घर में आनन्द अभी आया है
हर घड़ी अब है सुहानी मेरी

– डॉ आनन्द किशोर

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