Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Oct 2020 · 1 min read

जानी न वक़्त की है रियासत कहाँ कहाँ

जानी न वक़्त की है रियासत कहाँ कहाँ
पल-पल क़दम-क़दम पे मुसीबत कहाँ कहाँ

नज़रें अगर हैं ख़ास हक़ीक़त को जान लें
बिखरी है हर तरफ़ ही सदाक़त कहाँ कहाँ

सहरा पहाड़ दश्त समुन्दर कभी नदी
लेकर गई है मुझको ये क़िस्मत कहाँ कहाँ

दुनिया जहान सब पे फ़क़त छोड़कर मुझे
लेकिन रही है उनकी इनायत कहाँ कहाँ

कितनी ही चौखटों पे गई ले के वो मुझे
मज़बूरियों के साथ में गुरबत कहाँ कहाँ

बनते शरीफ़ सामने कुछ लोग इस क़दर
खाये वो बेचकर हैं शराफ़त कहाँ कहाँ

दुश्मन बना जहान है उल्फ़त के नाम पर
बदनाम हो गई है मुहब्बत कहाँ कहाँ

अपना समझ रहा है मुझे आज तक भी वो
उसने निभा तो दी है अदावत कहाँ कहाँ

लाचारियों में घिर के ही ‘आनन्द’ रह गया
ग़लती के बाद की है नदामत कहाँ कहाँ

शब्दार्थ:- दश्त = जंगल, सहरा = रेगिस्तान, नदामत = पछतावा
– डॉ आनन्द किशोर

4 Likes · 500 Views

You may also like these posts

ਹਾਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲੁਕੇ ਦਰਦ
ਹਾਸਿਆਂ ਵਿਚ ਲੁਕੇ ਦਰਦ
Surinder blackpen
दुनिया के मशहूर उद्यमी
दुनिया के मशहूर उद्यमी
Chitra Bisht
दुनिया को अपना समझना ही भूल है,
दुनिया को अपना समझना ही भूल है,
श्याम सांवरा
सेवा कार्य
सेवा कार्य
Mukesh Kumar Rishi Verma
बाबूजी
बाबूजी
Shashi Mahajan
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
Dr MusafiR BaithA
परिवार जनों का प्रेम स्नेह ही जीवन की असली पूंजी है और परिवा
परिवार जनों का प्रेम स्नेह ही जीवन की असली पूंजी है और परिवा
Shashi kala vyas
4601.*पूर्णिका*
4601.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
यूँ ही क्यूँ - बस तुम याद आ गयी
Atul "Krishn"
सम्बन्धों की
सम्बन्धों की
*प्रणय*
पलाश के फूल
पलाश के फूल
NAVNEET SINGH
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
*साबुन से धोकर यद्यपि तुम, मुखड़े को चमकाओगे (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
जुदाई।
जुदाई।
Priya princess panwar
Value the person before they become a memory.
Value the person before they become a memory.
पूर्वार्थ
“चिट्ठी ना कोई संदेश”
“चिट्ठी ना कोई संदेश”
DrLakshman Jha Parimal
कविता
कविता
Nmita Sharma
"गुरु की कसौटी"
Dr. Kishan tandon kranti
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
ऐसी प्रीत कहीं ना पाई
Harminder Kaur
संवेदना
संवेदना
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
पथदृष्टा
पथदृष्टा
Vivek Pandey
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
seema sharma
शिव जी प्रसंग
शिव जी प्रसंग
Er.Navaneet R Shandily
हिमनद
हिमनद
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
नारीत्व
नारीत्व
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
क्यू ना वो खुदकी सुने?
क्यू ना वो खुदकी सुने?
Kanchan Alok Malu
कंस रावण संवाद
कंस रावण संवाद
Sudhir srivastava
मधुशाला रास न आई तू
मधुशाला रास न आई तू
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
ग़ज़ल _ पास आकर गले लगा लेना।
Neelofar Khan
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
सुनो पहाड़ की.....!!! (भाग - ५)
Kanchan Khanna
विनती
विनती
D.N. Jha
Loading...