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6 Oct 2020 · 1 min read

शाह रोशन छड चले

शाह रोशन छड चले
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नैन रह गै न प्यासे
झूठे मिलन दिलासे
शाह रोशन छड चले
असीं कल्ले दे कल्ले

जग ज्योंदयां दे मेले
ओह गुरु असी चेले
टूट गया ताना बाना
ओही जग दे झमेले

असां मनया सी रब्ब
धन सतगुरु दे सबब
बेड़ा हो गया सी पार
रंग जिंदगी दे बदले

दिल रोवे अखां नम
रुके न चलदे कदम
कित्थे जांवा ना थां
कम्म कारां तों वेहले

बूहे बंद न वेहड़े तंग
साँईं बिना असीं नंग
लुटे गए दिन दोपहरे
गुम गए न बीते वेले

छुटया मुरशिद संग
उड गए चेहरे दे रंग
दाता तेरी ही दातार
किदरे थले ते बल्ले

रह गए रौंदे न प्यारे
हुजूर न अनामी द्वारे
दें दे सनेहे ते सदावां
डिगे धड़ाम धडल्ले

मनसीरत गुरु जुदाई
सीने पीड़,देवां दुहाई
किसे दर ना सुनवाई
कुज रहया ना पल्ले
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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