हसीनों की अदाकारी से बचिए
हसीनों की अदाकारी से बचिए
मुसीबत से समझदारी से बचिए
नहीं है फ़ायदा बदनाम होकर
नसीहत है रियाकारी से बचिए
किसी से मत मिलाना तुम नज़र भी
नज़र की बस गिरफ़्तारी से बचिए
भलाई से वफ़ादारी है अच्छी
बुराई की तरफ़दारी से बचिए
हमेशा सच ही जीता है जहाँ में
मगर है झूट बीमारी से बचिए
अकेले ही सफ़र पर ठीक जाना
बुरे के साथ तैयारी से बचिए
कभी भी मेहनतों से मुँह न मोड़ो
ग़रीबी और लाचारी से बचिए
किसी के दिल में हैं जज़्बात कैसे
सियासत से या सरकारी से बचिए
अदावत में कभी जो फंस गये तो
बड़ी है बात हुशियारी से बचिए
मज़ा तो अपने घर की रोटियों में
कोई भी शै हो बाज़ारी से बचिए
– डॉ आनन्द किशोर