आज़ाद गज़ल
क्या मिलेगा भला मुझे फरियाद कर के !
जब खुश हो खुदा ही बरबाद कर के ।
अब न लौटेंगे कभी इस गमे हयात में
जा रहा हूँ मैं बदन को आज़ाद करके ।
लुट गई हस्ती सरे राह चलते-चलते
देखा है मैंने रास्ते भी आबाद करके ।
भला हो तेरा मेरी किश्ती डुबोने वाले
ले मै चला तेरे मन की मुराद करके ।
किसको दुःख है यां अजय तेरे मरने का ।
कौन सा तू गया है कुछ इजाद करके
-अजय प्रसाद