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6 Sep 2020 · 1 min read

मन के उद्गार (अनुज के लिए)

अनुज जिन्हें मैं मानता, मुक्त छंद सरताज।
सैनिक सेवक राष्ट्र के, करते दिल पर राज।।1।।

डी डी पाठक नाम है, साहित्यिक अनुराग।
शत्रु को दिखते जैसे, धधक रही हो आग।।2।।

अनुज बड़े ही खास है, सुंदर सद् व्यवहार।
रचते काव्य महान ये, निर्मल सुघर विचार।।3।।

मितभाषी अरु जन प्रिये, रक्षक राष्ट्र महान।
दतिया मध्यप्रदेश है, इनका जन्मस्थान।।4।।

विश्वनाथ से याचना, करता मैं अविराम।
जीवन प्रियवर अनुज का, नित्य बने अभिराम।।5।।
✍️पं.संजीव शुक्ल ‘सचिन’

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