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14 Oct 2021 · 1 min read

मेरे घर की छत से तेरे घर की छत

काश
मेरे घर की छत से
तेरे घर की छत दिखती और
मैं एक पंछी सी तो
कभी एक पतंग सी तो
कभी एक बादल सी तो
कभी एक बारिश की बूंद सी तो
कभी एक हवा के झोंके सी
तेरी छत पर उतर आती
या
चलो कभी खुद ही
थोड़ा सज संवरकर
पैदल चलकर
तेरे घर का दरवाजा
खटखटाकर
तुझसे मिलने चली
आती।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

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