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5 Sep 2020 · 1 min read

"मुझ में तुम बहते रहे"

मुझ में तुम बहते रहे,
कभी बातों में ,
तो कभी आंखों में ,
वहीं सिहरन है,
अभी मुझ में,
कभी सांसों में ,
तो कभी यादों में ,
मुझ में तुम बहते रहे,
मुझ में तुम बहते रहे…
© डा० निधि श्रीवास्तव “सरोद”

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