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5 Sep 2020 · 1 min read

ओ हुश्न, जो तू हो सहज रूबरू l

ओ हुश्न, जो तू हो सहज रूबरू l
सही सही जीवन, हो जाए सुरू ll

रकीबों की हो, एसी की तैसी l
जो मैं हो जाऊं, तेरी आरजू l

जीवन की कभी ना, परवाह करूं l
जो तू हो जाए, मेरी आबरू ll

तेरी चाह ना, तेरा नशा नहीं l
बता एसी प्यास लेकर, क्या करूं ll

अरविन्द व्यास “प्यास”

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