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1 Sep 2020 · 1 min read

--वक्त के साथ -

वकत की दरकार है
की तुम मेरे साथ चलो
वक्त ही तो कहता है
तेज रफ़्तार मत चलो

मुझ छोड़ के आगे न जा सकोगे
हाथ खींच लूँगा वही ठहर जाओगे
तभी तो कहता हूँ
भाग के कहाँ तक जाओगे

न जाने कितने मंजर से
गुजरने के बाद भी
आज तक कोई मेरे को बदल
ही नहीं पाया है

अपने आंसूओं के
न जाने कितने आने जाने
वाले लोगों ने हर
वक्त ही भिगोया है

सोच के चलना
जहाँ जहाँ भी जाओगे
मेरे वो वक्त हूँ , जिसको
सदा अपने संग ही पाओगे

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

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