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31 Aug 2020 · 1 min read

प्रणव दा

प्रणव दा
~~~~~
साँझ में भी
साँझ जैसे सो गया ,
था सरल व्यक्तिव तेरा खो गया।
मौत की सरगोशियां
चापें दबाकर आ गई ।
बिना कुछ सोचे विचारे
हमारे प्रणब दा को ले गई,
हम सभी को आँसुओं की
बरसात देकर उड़ गई।
,,✍सुधीर श्रीवास्तव

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