Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2020 · 1 min read

कविता

कुछ
लिखने से
पहले सोंच लेना
पढ़ने वाले तुम्हें अपने
दायरे में रख कर पढ़ेंगे,
वो खुद से ही अर्थ निकालेंगे
क्योंकि छपने के बाद रचना, तुम्हारे
होठों से निकले हुए शब्दों की तरह हैं
जिसे तुम वापस नहीं ले सकते और न
उससे तुम ‘अपने’ होने से इनकार कर सकते हो ।
तो,प्रश्न यह है कि क्या” हम ” लिखना छोड़ दें????
नहीं, लिखना छोड़ना तो आत्महत्या करने जैसा है ।
और मुक दर्शक बनकर जीना भी महापाप है एक
बुद्धिजीवी,सम्वेदनशील और प्रगतिशील
लेखक के लिए !!
फ़िर क्या करे हम –?????
बस सोंच ले की क्या लिखना है?
किस के लिए लिखना है ?
कब लिखना है?
और हाँ
क्यों?
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
4 Likes · 1 Comment · 450 Views

You may also like these posts

क्या संग मेरे आओगे ?
क्या संग मेरे आओगे ?
Saraswati Bajpai
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
जिसे छूने से ज्यादा... देखने में सुकून मिले
जिसे छूने से ज्यादा... देखने में सुकून मिले
Ranjeet kumar patre
मायड़ भासा री मानता
मायड़ भासा री मानता
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
जहां में
जहां में
SHAMA PARVEEN
रक्तदान से डर क्यों?
रक्तदान से डर क्यों?
Sudhir srivastava
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
आँखों देखा हाल 'कौशल' लिख रहा था रोड पर
Kaushlendra Singh Lodhi Kaushal
लड़कियांँ इतनी सुंदर भी होती हैं
लड़कियांँ इतनी सुंदर भी होती हैं
Akash Agam
हवाओ में हुं महसूस करो
हवाओ में हुं महसूस करो
Rituraj shivem verma
मुक्तक _ दिखावे को ....
मुक्तक _ दिखावे को ....
Neelofar Khan
एक दीप तो जलता ही है
एक दीप तो जलता ही है
कुमार अविनाश 'केसर'
गुलामी क़बूल नहीं
गुलामी क़बूल नहीं
Shekhar Chandra Mitra
मुँहतोड़ जवाब मिलेगा
मुँहतोड़ जवाब मिलेगा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2959.*पूर्णिका*
2959.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इससे पहले कोई आकर के बचा ले मुझको
इससे पहले कोई आकर के बचा ले मुझको
अंसार एटवी
संयुक्त परिवार - भाग १
संयुक्त परिवार - भाग १
CA Amit Kumar
"अवशेष"
Dr. Kishan tandon kranti
🙅आज का मसला🙅
🙅आज का मसला🙅
*प्रणय*
किताब
किताब
अवध किशोर 'अवधू'
डर लगता है
डर लगता है
Dr.Pratibha Prakash
तेवरी में ‘शेडो फाइटिंग’ नहीं + योगेन्द्र शर्मा
तेवरी में ‘शेडो फाइटिंग’ नहीं + योगेन्द्र शर्मा
कवि रमेशराज
शरद का चांद
शरद का चांद
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
लतियाते रहिये
लतियाते रहिये
विजय कुमार नामदेव
हिन्दु नववर्ष
हिन्दु नववर्ष
भरत कुमार सोलंकी
मोदी को सुझाव
मोदी को सुझाव
बिमल तिवारी “आत्मबोध”
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
रंजिश हीं अब दिल में रखिए
Shweta Soni
गाडगे पुण्यतिथि
गाडगे पुण्यतिथि
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
राधा
राधा
Rambali Mishra
स्त्री यानी
स्त्री यानी
पूर्वार्थ
–स्वार्थी रिश्ते —
–स्वार्थी रिश्ते —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
Loading...