आज़ाद गज़ल
बाम=छत
सोशल डिस्टेंसींग के साथ प्यार कर रहे हैं
अपने अपने बाम से दोनों इज़हार कर रहे हैं ।
दो गज़ की दूरी जब से हो गई है ज़रुरी यारों
पार्क औ नदी किनारे जाने से इंकार कर रहे हैं ।
मास्क जो लगाने को मजबुर करती है हुकूमत
हेलमेट पहनके एक दूजे का दीदार कर रहे हैं ।
कीड़े पड़े कमबख्त इस मुआ कोरोना को
महिनों से गले लगाने का इन्तजार कर रहे हैं।
तू क्यों भला इतना खफा है अजय ज़रा बता
क्या वे लोग तुम्हें इसका जिम्मेदार कर रहे हैं ।
-अजय प्रसाद