Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Aug 2020 · 1 min read

-- मेरी माँ --

मुझ को लौटा दे फिर से
मेरा वो बचपन
फिर से मैं गुजार लूँ
अपना गुजरा हुआ लड़कपन

तेरी मार , तेरा प्यार
तेरा गोद में लेकर
सारे कष्ट को करना
मेरे जिस्म से बाहर

लौटा दे मुझ को
मेरा वो बस्ता
जिस को फिर से लेकर
देखूं कैसा लगता है..वो रस्ता

चुरा के खा लेना
तुझ को भगा देना
एक लकड़ी की छड़ी से
मार के करना दुलार

स्कूल से आते ही
बस्ता फेंक कर
मैदान में भाग के करना
दोस्तों के संग क्रीड़ा विधान

अब यादों के साये
में लेटा हुआ सोचता हूँ
कैसा था वो संसार
जिस में तेरा था सारा प्यार

आज बड़े होने पर
बस आंसू की बहती है फुहार
जानता हूँ नहीं लौटेगा
फिर भी बन जाता हूँ अनजान

चिंता से दूर थे ,नहीं मजबूर थे
तेरे सानिध्य में बेफिक्रे थे
तेरी मार में भी था
पल पल का बरसता प्यार

ओ माँ
बिता हुआ पल तंग करता है बार बार
मुझ को आगोश में तो तू अब भर ले
आकर बस..एक बार
आकर बस एक बार

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Loading...