Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Aug 2020 · 1 min read

A से Z तक मेरा ज्ञान

A- ए तुम
B- बोलो
C- सच सच
D- दोनो
E- इस बार
F- फंसोगे नही तो
G- गोल गोल मत घुमाओ
H- हम सब समझते है
I- इसमे भी कोई राज हैं
J- जो तुम बता नही रहे
K- किसी को भी
L- लोग यही बोल रहे है
M- मैने यही सुना है
N- ना मत बोलना अब
O- औरो से छिपा सकते हो
P- पर मुझ से नही
Q- क्योकि में सब
R- राज जानती हूँ
S- सारे तुम्हारे
T- तभी तो बोल रही हूँ
U- उन सबको तुम पर
V- विश्वास नही है उसको भी
W- वाइफ तुम्हारी हैं फिर भी
X- X मस तक सब ठीक होगा
Y- यहां सब के साथ रहो फिर
Z- जुड़ कर हम प्रयास करेगे
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद

Language: Hindi
5 Likes · 3 Comments · 437 Views
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ले चल पार
ले चल पार
Sarla Mehta
बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए
बस एक प्रहार कटु वचन का मन बर्फ हो जाए
Atul "Krishn"
"वक्त बता जाता है"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे घर के सामने एक घर है छोटा सा
मेरे घर के सामने एक घर है छोटा सा
Sonam Puneet Dubey
जरूरी नहीं कि वह ऐसा ही हो
जरूरी नहीं कि वह ऐसा ही हो
gurudeenverma198
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ
#ਮੁਸਕਾਨ ਚਿਰਾਂ ਤੋਂ
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मतदान करो और देश गढ़ों!
मतदान करो और देश गढ़ों!
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
हम कैसे जीवन जीते हैं यदि हम ये जानने में उत्सुक होंगे तभी ह
हम कैसे जीवन जीते हैं यदि हम ये जानने में उत्सुक होंगे तभी ह
Ravikesh Jha
8 आग
8 आग
Kshma Urmila
इन हवाओं को न जाने क्या हुआ।
इन हवाओं को न जाने क्या हुआ।
पंकज परिंदा
■ न तोला भर ज़्यादा, न छँटाक भर कम।। 😊
■ न तोला भर ज़्यादा, न छँटाक भर कम।। 😊
*प्रणय*
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
“आखिर मैं उदास क्यूँ हूँ?
DrLakshman Jha Parimal
बुढ़ापा आ गइल बाकिर...
बुढ़ापा आ गइल बाकिर...
आकाश महेशपुरी
मोबाईल
मोबाईल
Mansi Kadam
प्रेम के बाजार में
प्रेम के बाजार में
Harinarayan Tanha
श्याम लिख दूं
श्याम लिख दूं
Mamta Rani
तुम्हारी गली से आने जाने लगे हैं
तुम्हारी गली से आने जाने लगे हैं
Shreedhar
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
कवि रमेशराज
ख़बर ही नहीं
ख़बर ही नहीं
Dr fauzia Naseem shad
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
चिंपू गधे की समझदारी - कहानी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो है संस्कृति
वो है संस्कृति
उमा झा
माँ दे - दे वरदान ।
माँ दे - दे वरदान ।
Anil Mishra Prahari
माँ
माँ
sheema anmol
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
ना मै अंधी दौड़ में हूं, न प्रतियोगी प्रतिद्वंदी हूं।
Sanjay ' शून्य'
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
दुःख बांटू तो लोग हँसते हैं ,
Uttirna Dhar
रानी का प्रेम
रानी का प्रेम
Kaviraag
सोचता हूँ एक गीत बनाऊं,
सोचता हूँ एक गीत बनाऊं,
श्याम सांवरा
एक पल
एक पल
Meera Thakur
डॉ0 मिश्र का प्रकृति प्रेम
डॉ0 मिश्र का प्रकृति प्रेम
Rambali Mishra
Loading...