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18 Aug 2020 · 1 min read

बारिश...

आज बारिश का कहर सरेआम था
हर बूँद हर आंसू तुम्हारा नाम था
सब्ज़ हवा के मौसम में
सीली-सीली ठंडक का यही पैगाम था
हम खुश हैं तुम्हारे बगैर ‘शायर’
क्या तुम भी हसते गाते हो
और ख़त के नीचे हमारा नाम था
आज बारिश का कहर सरेआम था
हर जुबान सुना रही थी
कहानियाँ मोहब्बत की
इन कहानियों में कोई अपना ही गुमनाम था
सबने कहा हीर-रांझा लैला-मजनू
ज़ब हमने पढना शुरू किया
तो ख़त के नीचे हमारा नाम था
आज बारिश का कहर सरेआम था
… भंडारी लोकेश ✍️

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