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17 Aug 2020 · 1 min read

अब उठ भी जाओ प्यारे

सूरज से चली लालिमा।
बीती है रात्रि कालिमा।
पेड़ों पर पंछी बोले।
ये पवन मगन हो डोले।

सबको बुलाएँ दिशाएँ,
सभी ओर शोर हुआ रे।
इतना मुझको न सताओ,
अब उठ भी जाओ प्यारे।

कोयल भी गीत सुनाए।
सबके ही मन को भाए।
ये बाग हँसें, मुस्कायें।
अपने ही पास बुलायें।

मोहल्ले के ये बच्चे,
उठ खेल रहें हैं सारे।
इतना मुझको न सताओ,
अब उठ भी जाओ प्यारे।

देखो द्वार खड़ा ग्वाला।
आया फिर फेरी वाला।
बापू पहुँचे खेतों में।
सब जगे हुए केतों में।

ये रात गयी है कबकी,
सब चले गये हैं तारे।
इतना मुझको न सताओ,
अब उठ भी जाओ प्यारे।

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