Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2020 · 1 min read

नदियाँ बीच अनेक

********नदियाँ बीच अनेक********
******************************

राहें बेशक अलग हैं ,मंजिल तो है एक
सागर में जैसे मिले ,नदियाँ बीच अनेक

भांति भांति के पथ यहाँ,उद्देश्य हैं समान
तीर चाहे नही चले, रखते बीच कमान

राहें बेशक अफ डरे, मन मे ना हो मैल
नजर से नजर चुराये,जिंदगी धक्का पेल

ओरों की जो रीस करे,निज से भी हो दूर
बारम्बार वह है मरे, ना हीं पड़ती पूर

झुके पेड़ को फल लगे, देते ठंडी छाँव
बड़े वृक्ष न काम के, बिकते हैं बिन भाव

महल अटारी देख के,झोंपड़ी मत उजाड़
निज से नीचे देख के,मन में ना हो साड़़

सुखविंद्र कवि है कहे ,नीत में न हो खोट
जीवन में कभी न रुके,कभी न खाए चोट
*******************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
425 Views

You may also like these posts

ए चाँद
ए चाँद
sheema anmol
मूर्खता
मूर्खता
Rambali Mishra
कहां जायें
कहां जायें
Minal Aggarwal
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
శ్రీ గాయత్రి నమోస్తుతే..
శ్రీ గాయత్రి నమోస్తుతే..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
प्रार्थना(हनुमान जी)
प्रार्थना(हनुमान जी)
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
हरे! उन्मादिनी कोई हृदय में तान भर देना।
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
स्वतंत्रता
स्वतंत्रता
Seema gupta,Alwar
खुश रहने की कोशिश में
खुश रहने की कोशिश में
Surinder blackpen
इतनी बिखर जाती है,
इतनी बिखर जाती है,
शेखर सिंह
मै घट हूँ घटनाओ का
मै घट हूँ घटनाओ का
C S Santoshi
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shashi Mahajan
متفررق اشعار
متفررق اشعار
अरशद रसूल बदायूंनी
जहां सत्य है वहां पवित्रता है, प्रेम है, एक आत्मिक शांति और
जहां सत्य है वहां पवित्रता है, प्रेम है, एक आत्मिक शांति और
Ravikesh Jha
राज़ की बात
राज़ की बात
Shaily
आदिशक्ति वन्दन
आदिशक्ति वन्दन
Mohan Pandey
* पावन धरा *
* पावन धरा *
surenderpal vaidya
स्याही की इक बूँद
स्याही की इक बूँद
Atul "Krishn"
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
❤️
❤️
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
चीख़ते हैं दर-ओ-दीवार नहीं होता मैं
पूर्वार्थ
चाहते नहीं अब जिंदगी को, करना दुःखी नहीं हरगिज
चाहते नहीं अब जिंदगी को, करना दुःखी नहीं हरगिज
gurudeenverma198
सुबह देखता हूं शाम देखता हूं
सुबह देखता हूं शाम देखता हूं
Rituraj shivem verma
आकाश और पृथ्वी
आकाश और पृथ्वी
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
प्रीतम दोहावली
प्रीतम दोहावली
आर.एस. 'प्रीतम'
कैसी प्रथा ..?
कैसी प्रथा ..?
पं अंजू पांडेय अश्रु
खो जानी है जिंदगी
खो जानी है जिंदगी
VINOD CHAUHAN
*Flying in the Sky*
*Flying in the Sky*
Veneeta Narula
#लफ़्ज#
#लफ़्ज#
Madhavi Srivastava
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
क्या मुकद्दर बनाकर तूने ज़मीं पर उतारा है।
Phool gufran
Loading...