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25 Apr 2024 · 1 min read

इतनी बिखर जाती है,

इतनी बिखर जाती है,
तुम्हारे नाम की खुशबु मेरे लफ़्जों मे
कि लोग पुछने लगते है
इतनी महकती क्युँ है शायरी तुम्हारी,

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