Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Aug 2020 · 1 min read

पुरूष

क्योंकि
मैं पुरूष हूँ
तो
मुझे
हक़ है
स्त्रियों पे
लांछन लगाने का
उन्हें मारने का
उन्हें सताने का
उन्हें हथियाने का
उनके शोषण का
और वो सब करने का
जिससे
उन्हें
नीचा दिखा सकूँ।
कारण
है कि
उनके जैसा
कोई महान
कृत्य
मैं
नहीं कर सकता ।
कोई सुन्दरता
ही नहीं
मुझ में।
मेरे
सारे आविष्कार
मुझे चिढातें हैं।
उनके निस्वार्थ
प्रेम और समर्पण
देखकर ।
तुलना
उनकी की जाती है
धरती,फूल,चांद से
जो मुझे खलतें हैं।
इसलिए तो हम उनसे जलतें हैं
क्योंकि हम उन्हीं के कोंख में पलते हैं।
-अजय प्रसाद

Language: Hindi
3 Likes · 7 Comments · 192 Views

You may also like these posts

मेरे हमसफर
मेरे हमसफर
MEENU SHARMA
हार से भी जीत जाना सीख ले।
हार से भी जीत जाना सीख ले।
सत्य कुमार प्रेमी
पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
पूरे शहर का सबसे समझदार इंसान नादान बन जाता है,
Rajesh Kumar Arjun
बहुत खूबसूरत सुबह हो गई है।
बहुत खूबसूरत सुबह हो गई है।
surenderpal vaidya
पावन भारत भूमि
पावन भारत भूमि
Dr. P.C. Bisen
#अभी सवेरा दूर बहुत
#अभी सवेरा दूर बहुत
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*किताब*
*किताब*
Dushyant Kumar
लड़ेंगे और आगे बढ़ेंगे।
लड़ेंगे और आगे बढ़ेंगे।
Dhananjay Kumar
खुली आबादी से कोई अपना लेना चाहती हूं मुझ में भी दर्द है उसक
खुली आबादी से कोई अपना लेना चाहती हूं मुझ में भी दर्द है उसक
Aisha mohan
मन की सूनी दीवारों पर,
मन की सूनी दीवारों पर,
हिमांशु Kulshrestha
असल सूँ साबको
असल सूँ साबको
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
हे देवाधिदेव गजानन
हे देवाधिदेव गजानन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
चेहरे क्रीम पाउडर से नहीं, बल्कि काबिलियत से चमकते है ।
Ranjeet kumar patre
"औरत "
Dr. Kishan tandon kranti
तुमने जबसे है मेरा साथ छोड़ा,
तुमने जबसे है मेरा साथ छोड़ा,
आलोक पांडेय
काफी हाउस
काफी हाउस
sushil sarna
याद आती हैं मां
याद आती हैं मां
Neeraj Agarwal
पद्म
पद्म
Uttirna Dhar
बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## आ रदीफ़ ## कुछ और है
बह्र ## 2122 2122 2122 212 फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन काफिया ## आ रदीफ़ ## कुछ और है
Neelam Sharma
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
निहारिका साहित्य मंच कंट्री ऑफ़ इंडिया फाउंडेशन ट्रस्ट के द्वितीय वार्षिकोत्सव में रूपेश को विश्वभूषण सम्मान से सम्मानित किया गया
रुपेश कुमार
नारी
नारी
Shyam Sundar Subramanian
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
कभी भी भावना में बहकर अपनी निजी बातें और कमजोरी किसी के समक्
Paras Nath Jha
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
वो पेड़ को पकड़ कर जब डाली को मोड़ेगा
Keshav kishor Kumar
* कुछ ख्वाब सलौने*
* कुछ ख्वाब सलौने*
Vaishaligoel
पार्थगाथा
पार्थगाथा
Vivek saswat Shukla
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
Swami Ganganiya
You do NOT need to take big risks to be successful.
You do NOT need to take big risks to be successful.
पूर्वार्थ
स्त्रियाँ
स्त्रियाँ
Shweta Soni
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
फ़लसफ़ा है जिंदगी का मुस्कुराते जाना।
Manisha Manjari
लग़ज़िशें दिल ये कर नहीं सकता,
लग़ज़िशें दिल ये कर नहीं सकता,
Dr fauzia Naseem shad
Loading...