आज़ाद गज़ल
कीमत मेरी कुछ भी,आपकी नज़र में नहीं
क्योंकि कहता हूँ मैं गज़लें बहर में नहीं ।
खैर आप से नही कोई शिकवा ओ गिला
मेरी गज़लें आती अरूज़ के असर में नहीं ।
चाहता हूँ मैं भी लिखना बन्दिशों के साथ
लेकिन मेरी सोंच कायदे के कहर में नहीं ।
शायद गुजर जाऊँ गुमनाम कहीं रास्ते पर
इल्म हैआयेगी कभी मंज़िल सफ़र में नहीं ।
ज़ब्त हक़ीक़त ने की है मेरी शेर ओ शायरी
कहा वही है जो कभी आया खबर में नहीं ।
-अजय प्रसाद