आज़ाद गज़ल
उम्मीद की सुराख़ को झरोखे में बदल देंगे
हम अपने मुश्किलात को मौके में बदल देंगे ।
बस खुदा हमारे बुलंद हौसले महफूज़ रखना
फ़िर क्या,आंधीयों को भी झोके में बदल देंगे ।
हमें बहुत नाज़ है अपने खुद मुख्तारी पे यारों
अपनी नाकामियों को भी भरोसे में बदल देंगे ।
कभी यकीं हमनें किया ही नहीं हुस्ने वफ़ा का
इल्म था वो अपने वादों को धोखे में बदल देंगे ।
ईमानदारी,सच्चाई औ इंसानियत गर है तुम में
तो लोग तुम्हारी हैसीयत को बौने में बदल देंगें ।
-अजय प्रसाद