आज़ाद गज़ल
वफ़ात =death
सोंचि हुई भला बात कहाँ होती है
रोज रोज चांदनी रात कहाँ होती है ।
अब सिर्फ़ हाथ ही सब मिलातें हैं
दिल में वो जज्बात कहाँ होती है ।
प्यार,इश्क़,मुहब्बत,उल्फत,चाहत
आजकल ये सौग़ात कहाँ होती हैं ।
चुनावी गरज से नज़र आते हैं नेता
जीत के बाद मुलाकात कहाँ होती है ।
जीने की चाह लिए मर गये कितने
कोई चाहे भी तो वफ़ात कहाँ होती है
-अजय प्रसाद
-AJAY PRASAD
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BIHARSHARIF ,NALANDA, BIHAR
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