गज़ल
आज भी तू वही की वही रह गई
दोस्ती तो नही दुश्मनी रह गई
यूँ तो सब कुछ है पाया,मगर देखले
ज़िन्दगी मे तुम्हारी कमी रह गई ।
फूल चाहत का कोई खिला ही कहाँ ?
यार बंजर ये दिल की मिट्टी रह गई
हौसला कर न पाए कभी रोने का
मेरी पलकों में बस ये नमी रह गई ।
क्या अजय तुम करोगे कहो तो ज़रा
आज तक ख्वाहिशें सब डरी रह गई ।
-अजय प्रसाद