सम्पादक की और से
खेद है आपकी रचना पत्रिका के लायक नहीं है
माने साहित्यिक दृष्टिकोण से फलदायक नहीं है ।
आपकी लेखनी है मौलिकता में बेहद कमजोर
क्योंकि हुकूमत के लिए ये आरामदायक नहीं है ।
न छंदोबद्ध है,न बहर में ,न अंतर्गत कोई विधा
हाँ अवाम के जद्दोजहद की सच्ची परिचयाक है
आपकी रचनाओं में शालीनता की बहुत कमी है
और आपकी कहानी में भी कृत्रिम नायक नहीं है ।
श्री मान अजय जी वापस की गई रचना आपकी
अनयत्र न भेजें,कहीं और छपने के लायक नहीं है
-अजय प्रसाद